भूखमरी झेल रहे मजदूर पैदल चले अपने गांव
- रोजनदारी मजदूर, कामगार, नौकरी पेशा लोग भूखमरी की हालात में
- केंद्र व राज्य सरकार से कोई मदद नहीं
- ईएमआय से अब तक राहत नहीं
- कोरोना से संक्रमित 700 पार
देशभर में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या 700 पार हो गई है वहीं इस रोग से मरने वालों की संख्या 20 बताई जा रही है। महाराष्ट्र राज्य में सबसे ज्यादा मरीज कोरोना के बताए गए हैं। अब तक 130 लोग कोरोना संक्रमित बताए गए हैं जबकि 5 लोगों की मौत महाराष्ट्र में कोरोना से हुई है। ठाणे में भी कोरोना से संक्रमित मरीज पाए गए हैं। वहीं रोजी रोटी के लिए बाहरी प्रदेश से मुंबई व ठाणे आए मजदूर व कामगारों ने भूखमरी के हालत को देखते हुए सैकड़ों किलोमीटर पैदल अपने गांव जाने का सफर शुरू कर दिया है। यह हालात अब बाहरी प्रदेश के मजदूरों व कामगारों की नहीं रही यह हालात अब स्थानीय मजदूर, कामगार, छोटे व्यापारी, रिक्शा चालक व हाथगाड़ी वालों की भी हो गई है। पिछले सप्ताह भर से कोई भी काम धंधा न होने के कारण अब उनके खान पीने के लाले पड़ गए हैं। उनका कहना है कि अब कोरोना नहीं भूखमरी उनकी जान लेगी।
कोरोना के कारण देशभर में 14 अप्रैल तक लाॅक डाऊन रहेगा अगर कोरोना पर काबू नहीं हुआ तो यह लाॅक डाऊन के दिन आगे भी बढ़ सकते हैं। जानकारों का मानना है कि वर्तमान हालातों को देखते हुए यह लाॅक डाऊन की अवधि बढ़ाई जा सकती है। वहीं रोजनदारी पर काम करने वाले मजदूर, दुकानदार व नौकरी पेशा लोग भूखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। बाहरी प्रदेश से आए मजदूर व कामगार रोजगार न मिलने के कारण भूखमरी को देखते हुए अब पैदल अपने गांव निकल पड़े हैं क्योंकि ट्रेनें, बसें व निजी वाहन पूरी तरह बंद हैं ऐसे में उन्होंने यह पैदल अपने गांव जाने का फैसला किया है। कई कामगार तो सप्ताह भर पूर्व ही कुछ वाहनों की मदद से निकल गए जबकि कई लाखों मजदूर व कामगार फंसे हुए हैं। लेकिन भूखमरी के चलते उन्होंने अपने गांव में कम से कम रोटी मिलेगी इस आस में पैदल चलना शुरू किया है। उन मजदूरों के साथ उनके परिवार व बच्चे भी हैं जिन्होंने 3-4 दिनों से खाना भी नहीं खाया है। और ना ही उनके पास पैसे हैं। सरकार ने राहत पैकेज तो दिया है लेकिन आखिर कब मिलेगा यह राहत पैकेज। वहीं कुछ अत्यावश्यक वाहनों की मदद से ग्रुप बनाकर लोग गांव जा रहे हैं। खबर है कि देहरादून में तो दूध के टैंकर में छिपकर मजदूर व कामगार अपने गांव जाते हुए देखे गए यह खबर न्यूज चैनलों पर लोगों ने देखी है।
उल्हासनगर व अंबरनाथ से कई लोगों के फोन व मैसेज आ रहे हैं कि हम 8 से 10 हजार प्रति माह कमाने वाले लोग हैं पिछले सप्ताह भर से हम घरों में कैद है हमारे पास अब इतने पैसे भी नहीं कि हम राशन सब्जी ले सके। निजी कंपनी में काम करने के कारण वेतन मिलना भी मुशि्कल है कोरोना से पहले यह भूखमरी हमें मार देगी। इस तरह गरीब व माध्यम वर्ग परिवार की शिकायतें उल्हासनगर व अंबरनाथ के छोटे दुकानदार व व्यापारियों से भी आ रही है। जो रोज की रोटी की जुगाड़ हेतु कार्य करते हैं। अगर हालात में सुधार नहीं आया तो सि्थित बेकाबू हो सकती है।
ईएमआय भरने के टैंशन में लोन धारकों की हालत और भी पतली हो गई है क्योंकि ना तो उनके पास काम है और ना ही पैसे लेकिन राज्य व केंद्र सरकार व बैंकों ने ईएमआय से कोई भी राहत हेतु फैसला नहीं लिया है।
Comments
Post a Comment